क्या तुम जानते हो?
1. सर्दी के मौसम में हाथ-पैरों की त्वचा क्यों फटती है?
Answer - सर्दी और गर्मी के मौसम में वातावरण में तापमान और नमी की मात्रा में जो बदलाव होता है उसका असर हमारे शरीर पर भी पड़ता है।गर्मी में मनुष्य शरीर से पसीना निकलता है, जो त्वचा को नम बनाए रखता है लेकिन सर्दियों में ऐसा नहीं होता।तब वातावरण की खुष्क वायु हमारे शरीर की कोमल त्वचा यानी होंठ, चेहरे, हाथ और पैरों पर प्रतिकूल असर डालती है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा कोमल रहे, तो अधिक गरम पानी के बजाए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। सर्दी के मौसम में ज्यादा गर्म पानी से त्वचा और ज्यादा रूखी हो सकती है।
2.सूर्योदय और सूर्यास्त के समय क्यों बड़ा दिखता है सूर्य ?
Answer- अक्सर हम यह देखते हैं कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हमें सूर्य बड़ा दिखता है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य बड़ा क्यों दिखता है? उस वक्त उसकी किरणें हल्की होती हैं। ऐसे में वह हमें पूर्ण रूप में दिखता है। लेकिन जब वह पूरी तरह उदित हो जाता है तो उसकी किरणों की रोशनी बहुत तेज हो जाती हैं। हमारी आंखें उसपर नहीं ठहरती हैं। तब हमें वह छोटा दिखता है क्योंकि हम उसके भीतरी भाग को ही देख पाते हैं।सूर्य हमारी पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। इसकी बाहरी सतह की अपेक्षा अंदर की सतह ज्यादा गर्म होती है। सूक्ष्म तौर पर देखने पर यह हमें दो भागों में दिखाई देता है। जब सूर्य उदय होता है तब धीरे-धीरे इसकी किरणों पृथ्वी पर पहुंचती हैं।सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में आठ मिनट उन्नीस सेकेंड का समय लगता है। शाम के समय प्रकाश के हल्के और कमजोर होने से सूर्य हमें स्पष्ट और पूरा दिखाई देता है परंतु जब सूर्य दोपहर के समय ठीक पृथ्वी के ऊपर होता है,उस समय उसकी तेजस्वी किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं। उन तेज किरणों के असर से हमें सूर्य का बाहरी हिस्सा न दिखकर सिर्फ अंदर का ही भाग नजर आता है। इस दौरान सूर्य को देखना आंखों के लिए हानिकारक होता है। इन अवधि में सूर्य के आकार में भी बदलाव दिखता है जो वायुमंडलीय दबाव की वजह से है। चूंकि ऊंचाई घटने पर परिवर्तन में ज्यादा फर्क दिखता है इसलिए ऊध्र्वतल छोटा हो जाता है जबकि क्षितिज तल बढ़ जाता है। इसलिए सूर्योदय और उसके अस्त होते समय आकार बड़ा नजर आता है।
3. आरबीआई के गवर्नर : कब-कब कौन रहा पद पर?
Answer- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के चीफ के रूप में रघुराम राजन ने पद संभाल लिया। डी सुब्बाराव के बाद रघुराम राजन इस बैंक के 23वें गवर्नर होंगे। 1935 में स्थापित इस प्रमुख बैंक में अबतक 22 गवर्नर बन चुके हैं। आइए जानते हैं कि राजन से पहले किस-किस ने और कब आरबीआई की कमान संभाली थी-
1. सर ऑस्बॉर्न - 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937
2. सर जेम्स बैर्ड टेलर - 1 जुलाई 1937 से 17 फरवरी 1943
3. सर सीडी देशमुख - 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949
4. सर बेनेगल रामा राव - 1 जुलाई 1949 से 14 जनवरी 1957
5. केजी अंबेगांवकर - 14 जनवरी 1957 से 28 जनवरी 1957
6. एचवीआर इंगर - 1 मार्च 1957 से 28 फरवरी 1962
7. पीसी भट्टाचार्य - 1 मार्च 1962 से 30 जून 1967
8. एलके झा - 1 जुलाई 1967 से 3 मई 1970
9. बीएन अधारकर - 4 मई 1970 से 15 जून 1970
10. एस जगन्नाथन - 16 जून 1970 से 19 मई 1975
11. एनसी सेन गुप्ता - 19 मई 1975 से 19 अगस्त 1975
12. केआर पुरी - 20 अगस्त 1975 से 2 मई 1977
13. एम नरसिम्हा - 3 मई 1977 से 30 नवंबर 1977
14. डॉ. आईजी पटेल - 1 दिसंबर 1977 से 15 सितंबर 1982
15. डॉ. मनमोहन सिंह - 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985
16. ए घोष - 15 जनवरी 1985 से 4 फरवरी 1985
17. आनएन मलहौत्रा - 4 फरवरी 1985 से 22 दिसंबर 1990
18. एस वेंकटरमन - 22 दिसंबर 1990 से 21 दिसंबर 1992
19. सी. रंगराजन - 22 दिसंबर 1992 से 21 नवंबर 1997
20. डॉ. बिमल जलान - 22 नवंबर 1997 से 6 सितंबर 2003
21. डॉ. वाई वी रेड्डी - 6 सितंबर 2003 से 5 सितंबर 2008
22. डी. सुब्बाराव - 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013
23. रघुराम राजन - 5 सितंबर 2013 से 4 सितंबर 2016
4. जब परावर्तित होता है सूरज का प्रकाश, कैसे बनते हैं काले बादल ?
1. सर्दी के मौसम में हाथ-पैरों की त्वचा क्यों फटती है?
Answer - सर्दी और गर्मी के मौसम में वातावरण में तापमान और नमी की मात्रा में जो बदलाव होता है उसका असर हमारे शरीर पर भी पड़ता है।गर्मी में मनुष्य शरीर से पसीना निकलता है, जो त्वचा को नम बनाए रखता है लेकिन सर्दियों में ऐसा नहीं होता।तब वातावरण की खुष्क वायु हमारे शरीर की कोमल त्वचा यानी होंठ, चेहरे, हाथ और पैरों पर प्रतिकूल असर डालती है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा कोमल रहे, तो अधिक गरम पानी के बजाए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। सर्दी के मौसम में ज्यादा गर्म पानी से त्वचा और ज्यादा रूखी हो सकती है।
2.सूर्योदय और सूर्यास्त के समय क्यों बड़ा दिखता है सूर्य ?
Answer- अक्सर हम यह देखते हैं कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हमें सूर्य बड़ा दिखता है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य बड़ा क्यों दिखता है? उस वक्त उसकी किरणें हल्की होती हैं। ऐसे में वह हमें पूर्ण रूप में दिखता है। लेकिन जब वह पूरी तरह उदित हो जाता है तो उसकी किरणों की रोशनी बहुत तेज हो जाती हैं। हमारी आंखें उसपर नहीं ठहरती हैं। तब हमें वह छोटा दिखता है क्योंकि हम उसके भीतरी भाग को ही देख पाते हैं।सूर्य हमारी पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। इसकी बाहरी सतह की अपेक्षा अंदर की सतह ज्यादा गर्म होती है। सूक्ष्म तौर पर देखने पर यह हमें दो भागों में दिखाई देता है। जब सूर्य उदय होता है तब धीरे-धीरे इसकी किरणों पृथ्वी पर पहुंचती हैं।सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में आठ मिनट उन्नीस सेकेंड का समय लगता है। शाम के समय प्रकाश के हल्के और कमजोर होने से सूर्य हमें स्पष्ट और पूरा दिखाई देता है परंतु जब सूर्य दोपहर के समय ठीक पृथ्वी के ऊपर होता है,उस समय उसकी तेजस्वी किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं। उन तेज किरणों के असर से हमें सूर्य का बाहरी हिस्सा न दिखकर सिर्फ अंदर का ही भाग नजर आता है। इस दौरान सूर्य को देखना आंखों के लिए हानिकारक होता है। इन अवधि में सूर्य के आकार में भी बदलाव दिखता है जो वायुमंडलीय दबाव की वजह से है। चूंकि ऊंचाई घटने पर परिवर्तन में ज्यादा फर्क दिखता है इसलिए ऊध्र्वतल छोटा हो जाता है जबकि क्षितिज तल बढ़ जाता है। इसलिए सूर्योदय और उसके अस्त होते समय आकार बड़ा नजर आता है।
3. आरबीआई के गवर्नर : कब-कब कौन रहा पद पर?
Answer- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के चीफ के रूप में रघुराम राजन ने पद संभाल लिया। डी सुब्बाराव के बाद रघुराम राजन इस बैंक के 23वें गवर्नर होंगे। 1935 में स्थापित इस प्रमुख बैंक में अबतक 22 गवर्नर बन चुके हैं। आइए जानते हैं कि राजन से पहले किस-किस ने और कब आरबीआई की कमान संभाली थी-
1. सर ऑस्बॉर्न - 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937
2. सर जेम्स बैर्ड टेलर - 1 जुलाई 1937 से 17 फरवरी 1943
3. सर सीडी देशमुख - 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949
4. सर बेनेगल रामा राव - 1 जुलाई 1949 से 14 जनवरी 1957
5. केजी अंबेगांवकर - 14 जनवरी 1957 से 28 जनवरी 1957
6. एचवीआर इंगर - 1 मार्च 1957 से 28 फरवरी 1962
7. पीसी भट्टाचार्य - 1 मार्च 1962 से 30 जून 1967
8. एलके झा - 1 जुलाई 1967 से 3 मई 1970
9. बीएन अधारकर - 4 मई 1970 से 15 जून 1970
10. एस जगन्नाथन - 16 जून 1970 से 19 मई 1975
11. एनसी सेन गुप्ता - 19 मई 1975 से 19 अगस्त 1975
12. केआर पुरी - 20 अगस्त 1975 से 2 मई 1977
13. एम नरसिम्हा - 3 मई 1977 से 30 नवंबर 1977
14. डॉ. आईजी पटेल - 1 दिसंबर 1977 से 15 सितंबर 1982
15. डॉ. मनमोहन सिंह - 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985
16. ए घोष - 15 जनवरी 1985 से 4 फरवरी 1985
17. आनएन मलहौत्रा - 4 फरवरी 1985 से 22 दिसंबर 1990
18. एस वेंकटरमन - 22 दिसंबर 1990 से 21 दिसंबर 1992
19. सी. रंगराजन - 22 दिसंबर 1992 से 21 नवंबर 1997
20. डॉ. बिमल जलान - 22 नवंबर 1997 से 6 सितंबर 2003
21. डॉ. वाई वी रेड्डी - 6 सितंबर 2003 से 5 सितंबर 2008
22. डी. सुब्बाराव - 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013
23. रघुराम राजन - 5 सितंबर 2013 से 4 सितंबर 2016
4. जब परावर्तित होता है सूरज का प्रकाश, कैसे बनते हैं काले बादल ?
Answer- जब सूरज का प्रकाश किसी चीज
पर पड़ता है तो कुछ प्रकाश तो परावर्तित हो जाता है और कुछ उस वस्तु द्वारा
अवशोषित कर लिया जाता है। अगर कोई चीज ऐसी हो जो प्रकाश को पूरी तरह
अवशोषित कर ले तो वह काली दिखाई देने लगती है, जबकि अनेक ठोस और चमकीली
चीजें प्रकाश को परावर्तित (रिफ्लेक्ट) कर देती हैं। विज्ञान
के अनुसार काला रंग वास्तव में कोई रंग नहीं है। बल्कि जो चीज सूर्य के
प्रकाश को पूर्ण अवशोषित (ऑब्जर्व) कर ले वह काली दिखती है। बरसने वाले
बादलों में पानी की असंख्य छोटी बूंदें होती हैं। ये बादल काफी घने होते
हैं। ये बादल सूर्य के प्रकाश को पूर्णतः अवशोषित कर लेते हैं, इसलिए बादल
हमें काले दिखाई देते हैं। काले
बादलों के कारण दिन में ही अंधेरा सा छा जाता है, क्योंकि सूर्य का प्रकाश
इन बादलों द्वारा अवशोषित कर लेने से पृथ्वी तक नहीं आ पाता। प्रायः
पट्टियों या टुकड़ों के रूप में चमकीले बादल हमें आसमान में दिखाई देते हैं।
ये बर्फ के टुकड़े होते हैं। बर्फ के कण प्रकाश के लिए
पारदर्शक होते हैं, इसलिए शीशे की तरह प्रकाश इनमें से आरपार हो जाता है और
इस तरह ये बादल हमें चमकीले दिखते हैं। एक
बात और, ये बर्फ वाले बादल धरती से बहुत ऊंचाई पर होते हैं जबकि बरसने
वाले बादल धरती के बड़े नजदीक होते हैं। पहाड़ों में बादलों को नजदीक से देखा
जा सकता है। पहाड़ों
में बरसने वाले बादल खाइयों में उड़ते नजर आते हैं अर्थात हम पहाड़ पर होंगे
तो बादल हमें अपने से नीचे भी नजर आएंगे, जिन्हें हम नजदीक आने पर छू भी
सकते हैं।
5.
पहाड़े बनाने की विधि, कौन कहता है गणित कठिन है, चलों सीखें पहाड़े????
Answer- हमारे देश में गणित को हम हमेशा कठिन विषय मानते हैं पर यह बात गलत है। गणित से सरल कोई विषय नहीं है।गणित के ही शब्द में उसका अर्थ छुपा है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि गणित में पहाड़े किस प्रकार लिखते हैं।छोटी क्लास के बच्चों को पहाड़े कठिन पड़ते हैं। पर उनको सरल बनाया जा सकता है।माना
आपको 12 तक पहाड़े याद हैं। उसके बाद आपको 13 का पहाड़ा लिखना है तो आप 12
के पहाड़े के प्रत्येक अंक में 1 से 10 तक की गिनती जोड़ते जाओ तो आगे के
पहाड़े बनते जाएंगे।
जैसे -
12 13
24 26
36 39
48 52
60 65
72 78
84 91
96 104
108 117
120 130
12 13
24 26
36 39
48 52
60 65
72 78
84 91
96 104
108 117
120 130
Kishor Kumar
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