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12वीं योजना

बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी
नई दिल्ली। योजना आयोग ने अपनी सलाह में कहा है कि गरीब लोगों को एक निश्चित सब्सिडी देने के अलावा बाकी बिजली की दरें बढ़ाई जानी चाहिए। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दृष्टिकोण पत्र में आयोग ने कहा है कि बिजली की दरें बहुत से वर्गों के लिए मौजूदा स्तर से ज्यादा होनी चाहिए।

कृषि सेक्टर भी ऐसा ही है जिसको बिजली कम दरों पर मिलने के कारण बिजली वितरण कंपनियों की आर्थिक हालत खराब हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक दबाव में उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें ज्यादा ही नीचे रखी गई हैं। (प्रेट्र)

बिजली का सीमा पार कारोबार संभव
सोलापुर। भले ही चालू पंचवर्षीय योजना में ऊर्जा लक्ष्य से सरकार पिछड़ रही है, लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि ऊर्जा की किल्लत से जल्द ही निजात मिलेगी और भविष्य में पड़ोसी देशों के साथ इसका सीमा पार कारोबार भी किया जा सकता है। रविवार को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के सोलापुर सबस्टेशन का उद्घाटन करते हुए शिंदे ने यह बात कही। (प्रेट्र)

ऊर्जा लक्ष्य से चूक पर सरकार को फटकार
नई दिल्ली। चालू पंचवर्षीय योजना (२००७-१२) के दौरान बिजली उत्पादन क्षमता में विस्तार के लक्ष्य से चूकने पर एक संसदीय समिति ने सरकार को फटकार लगाई है। ऊर्जा पर संसद की स्थायी समिति ने ऊर्जा मंत्रालय को लताड़ते हुए कहा है कि लक्ष्य से चूकने के पीछे दिए गए कारण न तो अप्रत्याशित थे और न ही ऐसे जिनसे पार नहीं पाया जा सकता था।

11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए ऊर्जा क्षमता में बढ़ोतरी का संशोधित अनुमान 62,374 मेगावाट रखा गया था, लेकिन अब 52,062 मेगावाट ही रहने की संभावना है। 66 फीसदी लक्ष्य ही हासिल होने की उम्मीद है। मुलायम ङ्क्षसह यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। (प्रेट्र)


बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान आर्थिक विकास की लक्ष्य दर 9 फीसदी रखने पर बिजली उत्पादन क्षमता में लगभग एक लाख मेगावाट के विस्तार का लक्ष्य तय किया जा सकता है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बिजली उत्पादन के लक्ष्य को तय करने के लिए बनाई गई कार्य समिति की रिपोर्ट सितंबर के आखिर तक आने की उम्मीद है। आर्थिक विकास दर का लक्ष्य तय नहीं हो पाने के कारण कार्य समिति अब तक बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय करने में अंतिम फैसला नहीं ले पा रही थी।

योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद आर्थिक विकास की दर 9 फीसदी तय होने की उम्मीद है। ऐसे में 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बिजली उत्पादन क्षमता में 95-96 हजार मेगावाट के विस्तार का लक्ष्य तय किया जा सकता है।

इनमें 70 फीसदी हिस्सेदारी थर्मल आधारित बिजली की होगी। सूत्रों के मुताबिक कोयला आधारित निर्माणाधीन 45,000 मेगावाट की विभिन्न परियोजनाओं के लिए कोयले की स्थायी व्यवस्था हो चुकी है वहीं 20,000 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए भी कोयले की उपलब्धता में कोई दिक्कत नहीं आएगी। इन सभी परियोजनाएं के 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान स्थापित होने की उम्मीद है।

योजना आयोग सूत्रों के मुताबिक आगामी 24 अगस्त को बिजली उत्पादन के लिए कोयले की उपलब्धता पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक है जिसमें कोयला ब्लाक के गो और नो गो एरिया के नियमों में तब्दीली पर विचार किया जा सकता है, ताकि 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान स्थापित होने वाली बिजली परियोजनाओं के लिए कोयले की आपूर्ति की जा सके। इस जीओएम की बैठक के बाद योजना आयोग द्वारा गत अप्रैल में बनाई गई कार्यसमिति बिजली उत्पादन के लक्ष्य को लेकर अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार करेगी।


देश में गैस की कमी होने के कारण 12वीं पंचवर्षीय योजना में गैस आधारित बिजली परियोजनाओं से उत्पादन में कोई खास योगदान की उम्मीद नहीं की जा रही है। गैस के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाली एलएनजी की कीमत काफी अधिक है

और इसके इस्तेमाल से प्रति यूनिट बिजली की लागत गैस के मुकाबले 8 रुपये अधिक हो जाती है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान बिजली उत्पादन की क्षमता में 62,000 मेगावाट के तय लक्ष्य के मुकाबले अब तक 39,000 मेगावाट का विस्तार किया जा चुका है।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के मुताबिक इस योजना के अंत तक उत्पादन क्षमता में 50-52 हजार मेगावाट का विस्तार संभव हो सकेगा। चालू वित्त वर्ष ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का अंतिम वर्ष है और इस दौरान बिजली उत्पादन की क्षमता में 17,000 मेगावाट के विस्तार का लक्ष्य रखा गया है।

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